न जलाएं पराली, पर्यावरण होता है प्रदूषित
जागरण संवाददाता, जगराओं
खेतीबाड़ी विभाग व किसान भलाई विभाग ने पराली को आग न लगाकर सीधे जमीन में ही मिलाने संबंधी किसानों को जागरूक करने के लिए जागरूकता वैन रवाना की। वीरवार को तहसीलदार जोगिंदर सिंह व खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ.बलविंदर सिंह, डॉ.रमिंदर सिंह व पूजन छाबड़ा ने हरी झडी दिखाकर रवाना किया।
इस मौके पर तहसीलदार जोगिंदर सिंह ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पराली जलाने पर पाबंदी लगाई हुई है। वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए किसानों को इन आदेशों का पालन करना चाहिए। इस मौके पर खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ.बलविंदर सिंह ने कहा कि पराली को आग लगाने से वातावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ भयानक बीमारियों को न्यौता देता है। साथ ही पराली में मौजूद तत्व भी जलकर नष्ट हो जाते हैं। एक टन पराली जलाने से 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 1.2 किलोग्राम सल्फर, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस व 400 किलो जैविक कार्बन नष्ट हो जाते हैं। इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम होती है और हमें रासायनिक खादों का भी अधिक प्रयोग करना पड़ेगा जोकि वातावरण को अधिक प्रभावित करेगी। पराली जलाने से जमीन में मौजूद मित्र कीड़े, सूक्ष्म जीव, खेतों के आसपास लगे पेड़, सड़कों के किनारे लगे पेड़ भी जल जाते हैं। किसानों को एसएमएस वाली कंबाइनों से धान की कटाई कर हैप्पीसीडर से गेहूं की बीजाई करने की सलाह दी।
आलु वाले किसान मल्चर, चौपर से पराली को बारीक कर सकते हैं। इस मशीनरी पर सरकार सब्सिडी दे रही है। उन्होंने किसानों को गेहूं के बीज पर सब्सिडी लेने की भी सलाह दी। किसान 25 अक्टूबर तक अपने फार्म जमा करवा कर सब्सिडी का लाभ उठा सकते है।
इस मौके पर भूपिंदर सिंह, ईटीओ ब्रिज मोहन, पूजन छाबड़ा, डॉ.रमिंदर सिंह सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।
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