विकास कार्य के लिए 200 करोड़ की जरूरत, अब प्रॉपर्टी बेचने की तैयारी में निगमविकास कार्य के लिए 200 करोड़ की जरूरत, अब प्रॉपर्टी बेचने की तैयारी में निगम
जागरण संवाददाता, लुधियाना : नगर निगम वित्तीय संकट से गुजर रहा है, जिस वजह से शहर में विकास कार्य पूरी तरह से ठप पड़े हैं। ठेकेदारों की देनदारियां इतनी हैं कि बिना पुराना बकाया लिए निगम के काम करने को तैयार नहीं हैं। निगम ने खुद शहर की सड़कों पर पैचवर्क लगाकर फिलहाल चलने लायक बना दिया, लेकिन यह पैचवर्क ज्यादा देर चलने वाला नहीं है। शहर के विकास के लिए निगम को इस वक्त कम से कम दो सौ करोड़ रुपये की जरूरत है। ऐसे में निगम ने फंड का जुगाड़ करने के लिए हर तरह के रास्ते अपनाने शुरू कर दिए हैं। एक तरफ नगर निगम लोन लेने के लिए अप्लाई कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ अब अपनी प्रॉपर्टी बेचकर फंड जुटाने का जुगाड़ भी कर रहा है। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने मेयर को निगम की प्रॉपर्टी बेचने के लिए हामी भर दी, जिसके बाद मेयर ने अधिकारियों से शहर के अलग-अलग हिस्सों में नगर निगम की प्रॉपर्टी की लिस्ट मांग ली है। उसके बाद मेयर अफसरों के साथ चर्चा करके उन प्रॉपर्टीज की सूची तैयार करेंगे, जिससे निगम को मोटी रकम मिल सके। मेयर बलकार सिंह संधू ने बताया कि शहर में नगर निगम के पास काफी प्रॉपर्टी पड़ी हैं। जो कि किसी काम की नहीं है। ऐसे में निगम उन प्रॉपर्टीज को बेचकर फंड कलेक्ट करेगा। जो कि सीधे तौर पर शहर के विकास पर खर्च हो सकेगा। मेयर ने बताया कि पहले फेज में कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज की लिस्ट तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय मंत्री ने भी इस बात के लिए हामी भर दी है कि अगर शहर में निगम की प्रॉपर्टी पड़ी हैं जो कि निगम के काम नहीं आती हैं उन्हें बेच दिया जाए। मेयर ने बताया कि लिस्ट तैयार करने के बाद एक बार फिर से मंत्री के ध्यान में यह मामला लाया जाएगा और उसके बाद प्रॉपर्टी बेची जाएगी। मेयर ने बताया कि इससे एक बड़ी अमाउंट निगम के खाते में आ सकती है। बांड के जरिए कमाई करने का लक्ष्य
नगर निगम अब स्मार्ट सिटी के नाम पर अपने बांड जारी करने जा रहा है। इसे निगम की फाइनांस एंड कांट्रेक्ट कमेटी ने अप्रूवल भी दे दी। अब निगम शेयर बाजार में स्मार्ट सिटी के नाम पर 100 करोड़ रुपये के बांड जारी करेगा और उसके जरिए कमाई करेगा। 175 करोड़ का लोन लेने की योजना
नगर निगम पर 135 करोड़ रुपये के करीब विकास कार्यो के बदले ठेकेदारों की देनदारी बकाया है। ठेकेदार तब तक काम करने को तैयार नहीं हैं जब तक कि निगम उन्हें पुरानी पेमेंट नहीं दे देता। ऐसे में नगर निगम ने बैंक से 175 करोड़ रुपये का लोन लेने की योजना बनाई है। इसके लिए बाकायदा फाइल तैयार करवा दी गई है। ओटीएस से मोटी रकम मिलने की उम्मीद
शहर में हुए अवैध निर्माणों को रेगुलर करवाने के लिए पंजाब सरकार लंबे समय से वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी लाने की बात कर रही है। चारों बड़े नगर निगमों के मेयर भी सरकार से ओटीएस लाने के लिए गुहार लगा चुके हैं। अगर सरकार ओटीएस लाती है तो इससे नगर निगम को मोटी रकम मिलने की उम्मीद है। मेयर की मानें तो अगर ओटीएस आती है तो नगर निगम को न प्रॉपर्टी बेचनी पड़ेगी और न ही लोन लेना पड़ेगा। प्रति माह है 50 करोड़ की देनदारियां
नगर निगम पर प्रति माह 50 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं, जिसमें कर्मचारियों का वेतन, अफसरों की गाड़ियों का खर्चा, बिजली का बिल व अन्य देनदारियां हैं। निगम कर्मियों की तरफ से जो रिकवरी की जाती है उसमें यही खर्चे पूरे किए जा रहे हैं। ऐसे में विकास कार्यो के लिए फंड नहीं बच रहा है। इन प्रोजेक्ट्स के लिए निगम को चाहिए फंड
शहर में सड़कों के निर्माण कार्य फंड की कमी से लटका पड़ा है।
सीवरेज सिस्टम को अपग्रेड करना
बुड्ढा नाला प्रोजेक्ट
अमरूत स्कीम के तहत करवाए जाने वाले काम के लिए मैचिंग ग्रांट
ठेकेदारों की बकाया राशि का भुगतान
Courtesy By :- Jagran