घर का डूबा आफताब तो जलाया उम्मीद का दीपक, गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहा डॉक्टर दंपती
बिंदु उप्प्ल, जगराओं (लुधियाना): तीन साल पहले सड़क हादसे ने बेटे की जान ले ली। ऐसे समय में डॉक्टर दंपती डॉ.राजिंदर चावला और डॉ.नीना चावला काफी टूट चुके थे। एक बेटा साथ था तो जीने का हौसला उनमें बरकरार था। किसी और घर का चिराग असमय न बुझे, इसके लिए डॉक्टर दंपती ने जागरूकता की मशाल जलाने का प्रण लिया। उन्होंने फैसला लिया कि वे युवाओं को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करेंगे। इसके लिए उन्होंने आशा चिन्ह वेलफेयर सोसायटी बनाई। सोसायटी के नेतृत्व में हर वर्ष अक्टूबर से फरवरी तक स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता मुहिम चलाई जाती है। इसमें युवाओं को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया जाता है। लक्ष्य यही है कि सड़क पर चलते समय हर युवा यातायात के नियमों का पालन करे। इसमें यातायात पुलिस और स्वास्थय विभाग से विशेषज्ञ आकर रोड सेफ्टी और हेल्थ सेफ्टी के टिप्स देते हैं। इसके अलावा स्कूलों और कॉलेजों में एरो यानि आशा चिन्ह रोटरी रोड सेफ्टी आउटरीच वर्कशॉप थीम पर विद्यार्थियों में क्विज प्रतियोगिता करवाते है।
सरकारी प्राइमरी स्कूल को भी लिया है गोद
प्रसिद्ध समाज सेवक व रोटरी क्लब ग्रेटर लुधियाना के सदस्य डॉ. राजिंदर चावला बताते हैं कि हमने विभिन्न स्कूलों के 15 बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी ली हुई है। उनकी पूरे वर्षं की फीस व पढ़ाई का अन्य खर्च उठाते हैं। आशा चिन्ह वेलफेयर सोसायटी ने सरकारी प्राइमरी स्कूल चूहड़पुर को गोद लिया है। स्कूल के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी हम दोनों पति-पत्नी ने ली है। इसके तहत स्कूल में पार्क, प्रिंसिपल ऑफिस,कमरे, मिड-डे मील हाल का निर्माण करवाना है और जिसका निर्माण काय चल रहा है।
झुग्गी-झोपडिय़ों में भी जला रहे शिक्षा की ज्योति
डॉ.राजिंदर चावला बताते हैं कि आशा चिन्ह वेलफेयर सोसायटी रोटरी क्लब के सहयोग से झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले 60 बच्चों को शिक्षित कर रही है। इनको उम्मीद स्कूल के बैनर तले शिक्षा दी जाती है। यह स्कूल बीआरएस नगर में नगर निगम की जोन-डी की बिल्डिंग के पास बने फ्लाइओवर के नीचे चलता है। यहां पर बुनियादी शिक्षा के साथ ही नैतिक शिक्षा और वर्तमान जीवन प्रणाली के बारे में सिखाया जाता है। बच्चों को रोटरी क्लब की ओर से योग, डांस, स्पोर्ट्स, साफ-सफाई और हेल्थ टिप्स दिए जाते हैं। इनके और इनके परिवार के लिए चेकअप कैंप लगाए जाते हैं। इस नेक कार्य में उनका इंजीनियर बेटा अहसास भी सहयोग करता है।
तीन साल पहले हादसे ने लील लिया था लाल को
डॉ.नीना और डॉ.राजिंदर चावला बताते हैं कि तीन साल पहले उनका बेटा आफताब (18 वर्षीय) कार से चंडीगढ़ जा रहा था। एक लापरवाह चालक ने बस से पीछे से कार को टक्कर मार दी। हादसे में आफताब की मौत हो गई। वह इंजीनियर बनना चाहता था। नम आंखों से डॉ. चावला बताते हैं कि जागरूकता में भाग लेने वाले हर युवा और उम्मीद स्कूल में पढऩे वाले हर बच्चे में हमें अपना बेटा आफताब नजर आता है। डॉ. राजिंदर चावला ने लुधियाना के पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से पीएचडी बायोकेमिस्ट्री कर सीएमसी अस्पताल में 26 वर्ष काम किया। वहां पर भावी डॉक्टरों को बायोकेमिस्ट्री विषय पढ़ाने के अलावा रिसर्च और लैब का पूरा काम देखा।
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